संस्कृत अध्ययन के लिए विशेष केंद्र जेएनयू में संस्कृत अध्ययन का केंद्र २००१ में स्थापित हुआ था, जिसकी स्थापना निम्न के लिए हुए थी:
बीच में बातचीत, और साथ लाना, इन्तरैक्तिव परियोजनायों के माध्यम से, पारम्परिक विद्वानों/छात्रवृति और मुख्यधारा के महाविद्यालयों के विद्वान/छात्रवृति|
►विरासत में मिले ग्रंथों और पांडुलिपियों के रख-रखाव और बचाने के लिए काम करना|
►संस्कृत परम्परा के प्राथमिक बौद्धिक ग्रंथों में से सैद्धांतिक ढाँचे का गठन और व्याख्या करना और
►शास्त्रीय सिद्धांतों को दोनों तत्कालीन भारतीय वास्तविकता(आधुनिक भारतीय भाषाएँ,साहित्य, आदि) और तत्कालीन यूरोपियन भाषाओँ और साहित्य(भारतीय अकादमी और पश्चिमी अकादमी में मौजूदा डाटा-थ्योरी के सम्बन्धों को उल्टा करना और भारतीय सोच के लिए सिद्धांत के स्थिति को पुनर्प्राप्त करना)पर लागू करके विस्तार और मान्य करना है|
►भारतीय और पश्चिमी परम्परा में भाषाविज्ञान की सोच,साहित्यिक और सिद्धांत, फिलोसोफी, भाषा की फिलोसोफी, मैट्रिक्स और प्रोसोडी, समाजशास्त्रिय सोच, राजनीति, लिंग और जातीय अध्ययन और संस्कृति समेत में तुलात्मक अनुसंधान करना चाहिए|
इन उद्देश्यों को छात्रों और अनुसन्धानकर्ताओं का स्सव्धानी से विकसित एम.ए और एम.फिल./पीएच.डी स्तर के शिक्षण और अनुसंधान कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त करने की इच्छा की जा सकती है|